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ख़ुद से…बग़ावत

SHABDARCHAN
SHABDARCHAN
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जब से ख़ुद से…बग़ावत हो गई है

बड़ी इस दिल को राहत हो गई है।

तमाज़त1 पर महकती चंद कलियाँ

शजर2 में एक… सबाहत3 हो गई है।

बहुत मुश्किल से सोता है मुसाफ़िर

दर पे कोई फ़िर से आहट हो गई है।

ज़रा सा जब किया इज़हारे मुहब्बत

मेरे घर में एक अदालत हो गई है।

बाद मरने के ….बहता जाता हूँ

आज परिंदों की दावत हो गई है।

(-पी.के.आर्य)

1.तमाज़त -धूप की गर्मी ,2.शजर -पौधे-प्लांट, 3.सबाहत – सौंदर्य,लावण्य

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